पारस्परिक संबंधों का विज्ञान :सुखी जीवन का आधार
प्रत्येक व्यक्ति सुखी जीवन की ही कामना करता है, किन्तु व्यक्ति सुख का अनुभव तभी करता है, जब उसकी भौतिक और भावनात्मक दोनों प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है| आधुनिक समाज में भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु बहुत से साधन उपलब्ध हैं| एक तरफ परिवार है, शिक्षा संस्थान हैं, बाजार है, सिनेमा है, तो दूसरी और सुरक्षा के लिए पुलिस है और व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकार है|
लेकिन हमारे चारों ओर फैली इस व्यवस्था में हमारी भावनात्मक आवश्यकताएँ अनदेखी और अतृप्त ही रह जाती हैं, चूँकि वह भौतिक वस्तुओं पर नहीं बल्कि पारस्परिक सम्बन्धोँ पर निर्भर करती हैं| अच्छे से अच्छा खाना, घर और धन कदापि हमें उस सुख का अनुभव नहीं करा सकता, जो हमें पारस्परिक प्रेम, विश्वास और अपनेपन से मिलता है|
वस्तुतः इन दोनों आवश्यकताओं के असंतुलन के कारण ही हमें अपने आस-पास और घर-परिवारों में इतना असंतोष और व्याकुलता दिखाई देती है. पारस्परिक संबंध तनाव ग्रसित हैं और टूटने के कगार पर खड़े दिखते हैं. परिवारों में भिन्न पीढ़िओं के लोगों को आपस में संवाद करने में और सामंजस्य बैठाने में कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। भारत में भी तलाक के आंकड़े भयानक रूप से बढ़ रहे हैं| भौतिक रूप से संपन्न व्यक्तियों के आत्महत्या करने की आम होती घटनाएं यह दर्शाती हैं कि समस्या कितनी विकराल और गंभीर रूप ले चुकी है|
आखिर वह क्या है जो पारस्परिक सम्बन्धों को जीवंत रखता है, उसे ऊर्जावान बनाता है क्या सगे –सम्बन्धियों, पड़ोसियों और दोस्तों के साथ पारस्परिक संबंधों को बेहतर बनाया जा सकता है? हम भी अपने जीवन में खुशियों के रंग कैसे भरें ? 'पारस्परिक संबंधों का विज्ञान' कोर्स इन्ही प्रश्नों का उत्तर है| इस कोर्स की मदद से आप पारस्परिक संबंधों के मूल-भूत सिद्धांत को समझ पाएंगे और इसे व्यावहारिकता में उतार पाएंगे।
इस विषय पर या तो कोर्स हैं नहीं और जो हैं भी वह पश्चिमी विचारधारा पर आधारित हैं| जो हर समस्या को 'गलत - सही' की संकुचित दृष्टि से देखकर 'क्या करें -क्या न करें' का एक नुस्खा पकड़ा देते हैं . लेकिन भारतीय दर्शन पर आधारित यह कोर्स व्यवहारमूलक है| सहभागिता और नवीनता के साथ - साथ सामूहिक चर्चाएँ इस कोर्स का महत्वपूर्ण भाग हैं| यद्यपि कोर्स एक गंभीर विषय पर हैं, लेकिन प्रतिभागियों ने इसे बेहद रोचक और ज्ञानवर्धक पाया है. पारस्परिक चर्चा के लिए जो ग्रुप इस कोर्स के दौरान बनता है, वह इस कोर्स के बाद निरंतर ज्ञान और सहयोग को बढ़ाने का एक सुन्दर साधन बन जाता है|
सुख की पाठशाला आपके लिए भी शुभ हो!
Topics of SoR
S.No. |
Name of the Topic |
No. of Sessions |
1. |
Introduction of the Course |
01 |
2. |
Topic 01: Understanding the Needs of Human Being-Physiological(body), Physiological(Heart) and Rational(Mind) |
02 |
3. |
Topic 02: People are different and therefore conflicts are natural. |
02 |
4. |
Topic 03: Understanding Changing Relationships in Life Including Marriage. |
02 |
5. |
Topic 04: Men are from Mars, Women are from Venus |
02 |
6. |
Topic 05: Myths of Life after Divorce |
01 |
7. |
Topic 06: Emotional and Social Intelligence |
02 |
8. |
Topic 07: Recap of lectures 01 to 06 |
01 |
9. |
Topic 08: Impact of Social Media on Relationships |
01 |
10. |
Sharing of participants views and certificate ceremony |
01 |
11. |
Follow-up sessions; one session per month |
06 |
|
TOTAL |
21 |
Contact Person: Mr Manoj Gupta: 9997045564
Email: scienceofrelationships@kanohar.org
"I was little confused about the behaviour of few members in my life. Now, it has become clear as to what is the reason behind their behaviour. Now, I can help others to understand and manage the relationship at same level. ‘Men are from Mars and women are from Venus’ was a new and interesting concept”
-- Mamta Agarwal (Ph.D., B.Ed.), Dept. of Psychology, KLPG
“My perspective has changed towards my surroundings especially towards my family. ‘Men are from Mars and women from Venus’ helped me to understand the difference between men and women. I learned that how to manage relations in every field of life... and accept and respect them.”
-- Priyanka (M.A, B.Ed.), Dept. of Psychology, KLPG
“Excellent course on human relationship…very interesting... the name of the course... the course material and duration of the course all are very good and best suited. The course helps you heal relationships. Thanks to Neha mam and her team members”
-- Ms. Roopa Chauhan (M. Com, B.Ed., M.A), Dept. of Commerce, KLPG
“हम हर रिश्ते में खुशी ढूंढ सकते हैं इस कोर्स को करने के बाद मुझको समझ में आ गया| हम किसी को बदल नहीं सकते जो जैसा है हमें उसको वैसे ही स्वीकार करना चाहिए और अगर हम सब को उनके व्यवहार के साथ स्वीकार कर लेंगे तो हम ज़िन्दगी के हर रिश्ते में खुशी ढूंढ सकते हैं| यह कोर्स मेरे भविष्य में आने वाली कठिनायिओं में मुझको खडे होने की हिम्मत देगा| धन्यवाद K.L.P.G. Trust Society आप ने मुझको इस कोर्स करने की अनुमति दी |”
-- Aish ( M.A), Dept. of Commerce, KLPG
इस कोर्स से मुझे बहुत अधिक सीखने व समझने को मिला| ‘Everyone is different’ यह हम सभी जानते हैं लेकिन 40 दिन तक चले इस कोर्स से हमें बहुत सारी बातें गहराई से समझ में आई| मुझे ‘Men are from Mars, Women are from Venus’ इस लेक्चर ने बहुत ही अधिक लाभावन्ति किया| सारे ही लेक्चर बहुत उपयोगी है|
-- Ms. Sukhda Singhal (M.A), TDLK